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Thursday, June 09, 2011

जाति पर आधारित आरक्षण

पुरातन भारत की पहचान ही जातियों के आधार पर ही टिकी थी जिसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा था सक्षम लोगो ने लाठी तलवार की ताकत पर अपना वर्चश्व कायम किया था……. किसी भी देश की ताकत उस देश की जनता होती है भारत में भी उस समय की सारी व्यस्था ऋषि मुनियों द्वारा संचालित होती थी जिस कारण से वर्ण व्यस्था अस्तित्व में आई और पूरे भारत का विभाजन चार वर्णों में बट गया और समाज का कार्य व्यहार उसी के अनुरूप चलने लगा अगर मै यह कहूँ की इस व्यस्था ने देश को बहुत ही अच्छे कारीगर दिए जैसे की (विभाजन से पूर्व) ढाका की मलमल जिसके दीवाने पूरे संसार में थे तथा कोई भी कार्य पारिवारिक होने के नाते कहीं बहार सीखने के लिए नहीं जाना पड़ता था ……..आज भी अगर किसी किसान का एक बेटा पढ़ लिख कर अधिकारी बन जाय तो क्या वह खेत में भी काम करेगा ! नहीं इसी प्रकार से उस समय के समाज के मनीषियों ने प्रत्येक कार्य को जाति के साथ जोड़ दिया जिसका कोइ विरोध नहीं कर सकता था । जिसका परिणाम कालांतर में बढ़ा ही दुखद हुआ की चौथे वर्ण के लोगो का जीवन नारकीय होता चला गया, और उन्हें सभी प्रकार के लाभों से वंचित होना पड़ा और सदियां बीत जाने के बाद आज भी दशा नहीं सुधरी है । परन्तु आजादी के बाद एक बात अवश्य हुई की कानून बना कर चौथे वर्ण में शामिल कुछ विशेष वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में जाति पर आधारित आरक्षण दिया गया जिसका परिणाम कोई उत्साह जनक नहीं है जिनको आरक्षण मिला न तो वह लोग खुश है क्योंकि किसी – किसी परिवार में आज साठ वर्षों के बाद ४-६ आई ए एस मिल जायंगे तथा कहीं पर पहले से भी बुरी दशा में मिलेंगे और न ही चौथे वर्ण की बाकी जातियों के लोग जिनको आरक्षण मिला ही नहीं तथा जिनके काबिल बच्चे अच्छे नंबर होने पर भी बहुत से स्कूल कालिजों दाखिला तथा दफ्तरों में नौकरियों से वंचित रह जाते है । इस जाति आधारित आरक्षण ने बाकी तीनो वर्णों में शामिल आर्थिक रूप से पिछड़े एवं गरीब को तो बिलकुल तोड़ कर रख दिया है जिसका एक दुष्परिणाम तो सामने आ ही रहा है कुछ पिछड़ी जातियों के समपन्न लोग भी आरक्षण के लिए आन्दोलन कर रहे है । जब इस जाति आधारित आरक्षण ने नौकरियों में भारतीय वर्ण व्यस्था को समाप्त ही कर दिया है तो सरकार और नेताओ को डर किस बात का है । अब जब सरकार ने निर्णय ले ही लिया है तो कुछ नेताओ के पेट में दर्द उठने लगा है कारण वही जाने एक बार जाति गणना ही होनी चाहिए जिससे की दूध का दूध और पानी पानी अलग हो जायगा ।

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